पितृ पक्ष की आज से शुरुआत; महामारी के चलते पिशाच मोचन कुंड पर श्राद्ध कर्म पर प्रशासन ने लगाई रोक, पसरा सन्नाटा

अश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से अमावस्या तक 15 दिनों तक पितृ पक्ष रहेगा। बुधवार से इसकी शुरुआत हो गई है। काशी के पिशाच मोचन कुंड और गंगा घाटों पर पिंडदान ,श्राद्ध, तर्पण करने वाले लोग नहीं पहुंचे। जिला प्रशासन ने इस बार 15 दिनों तक किसी आयोजन पर रोक लगा दिया है। तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पांडेय ने बताया ब्राह्मणों की रोजी रोटी पर संकट आ गया हैं। यजमानों को यहां पूजा पाठ करने पर रोक बहुत बड़ा संकट खड़ा कर रहा है।
मुन्ना लाल पंडा ने बताया द्वापर त्रेता युग के समय का कुंड बताया जा है।पिसाच नाम के ब्राह्मण को प्रेत बाधा था। उसने यही आकर महादेव के दर्शन को तप किया था।महादेव ने जब दर्शन दिया तो उसने मुक्ति की बात कही।ब्राह्मण ने मुक्ति के बाद महादेव से कहा कि अन्य प्राणियों के यहां भी अकाल मृत्यु होती है।उनको मुक्ति मार्ग कैसे मिलेगा।मैं यही रहना चाहता हूं। तब महादेव ने वरुण देव को बुलाकर यहां कुंड में जल भरवाया।तभी से इस विमल तीर्थ में त्रिपिंडी श्राद्ध की परंपरा चली आ रही है।

हर साल करीब डेढ़ लाख लोग करीब आते थे
मुन्ना पंडा ने बताया कि 15 दिनों के मेला में डेढ़ लाख लोग आते थे। इस बार तो एक आदमी यहां नही आया।अभी आगे देखा जाए क्या होगा।जिला प्रशासन ने पुलिसकर्मियों को भी कुंड पर तैनात कर दिया है। वहीं बबलू पंडा ने बताया कि जमा पैसों से ही अभी खाया जा रहा है।कुछ दिनों तक ऐसे नौबत रही तो कोई दूसरा धंधा पानी करना होगा। पितृ पक्ष में यजमान अच्छा खासा दान करते थे।आमदनी अच्छी होती थी।ऑनलाइन श्राद्ध पर हर कोई विश्वास नहीं करता है। इसका प्रचलन यहां न के बराबर है।

अकाल मृत्यु में मरे पूर्वजों के लिए होता है त्रिपिंडी श्राद्ध
पंडित कमलेश पांडेय ने बताया पितृ पक्ष 17 सितम्बर तक रहेगा और इन 15 दिनों तक लगातार वाराणसी के पिशाच मोचन कुण्ड पर देश के कोने कोने से लोग आकर अपने पूर्वजों के लिए पिंड दान करते हैं।मान्यता है कि जो पूर्वज अकाल मृत्यु को प्राप्त हो चुके होते है, उनको पित्र पक्ष में काला तिल और जल का दान दिया जाता है। पितरों की आत्मिक शांति के लिए तिल और जल से तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करते हैं।
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