कोविड के नियमों को दरकिनार कर उमड़ी भक्तों की आस्था; न तो सोशल डिस्टेंसिंग दिखी, न ही महामारी के नियमों को हो रहा पालन

उत्तर प्रदेश के विंध्याचल धाम में नवरात्र शुरू होने के बाद से ही लगातार भक्तों की भीड़ देखी जा रही है। कोरोना काल को देखते हुऐ जिला प्रशासन ने कोविड गाइडलाइंस के तहत तमाम दावे किए थे। लेकिन सुबह से भक्तों की जो भीड़ दिखी, वह अलग ही थी। ना तो सोशल डिस्टेंसिंग के तहत लोग लाइन में लगे थे और ना ही ज्यादातर लोग मास्क पहने हुए नजर आए जबकि कोरोना संक्रमण अभी कम नहीं हुआ है।
विंध्याचल धाम में शुरू हुए नवरात्र मेले में वैसे तो हर साल लाखों लोग मा विंध्यवासिनी का दर्शन और पूजन करने पहुंचते हैं और कुछ लोग तो नवरात्र भर यहीं पर रुक कर साधना करते हैं। लेकिन कोरोना काल के चलते सामान्यतः भक्तों की भीड़ आम दिनों की अपेक्षा कम ही देखी जा रही थी।
इस वर्ष कोविड नियमों के तहत नवरात्र में धाम में आने वाले भक्तों को मां के दर्शन सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाकर ही मंदिर में प्रवेश करने का जिला प्रशासन ने दावा किया था। लेकिन सुबह से धाम में जो नजारा दिखा, वह प्रशासन के दावे से एकदम अलग था।

विंध्य पर्वत पर लगा भक्तों का जमघट
विंध्य पर्वत पर विराजमान आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी के दरबार में अष्टमी तिथि पर भक्तों का तांता लगा है। कोरोना के भय को दरकिनार कर लोग भक्ति में लीन हैं। जयकारे के बीच भक्त मां के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए कई सौ मीटर लम्बी लाइन में खड़े है। माता के दर्शन के लिए दूर दराज से पहुंचे भक्त पूजन सामग्री चुनरी , लाची दाना, सेंदुर, कलावा आदि प्रसाद लेकर लाइन में लग जा रहे हैं। जय मां दुर्गे, जय मां तारा, दयामयी कल्याण करो का जयकारा लगाते हुए मां का दर्शन पूजन करके निहाल हो रहे हैं।

हर वर्ष दूर दूर से आते हैं श्रद्धालु
बच्चों के साथ ही वृद्ध और जवान सभी माता के दरबार में हाजिरी लगाने में लगे हैं। तमाम भक्त झांकी से ही दर्शन कर अपने आपको धन्य मान रहे हैं। पहले की तरह भीड़ न होने से दुकानदार मायूस हैं। उनका कहना है कि भक्त कम संख्या में आ रहे हैं। भरपूर खरीददारी न करने से उतनी आमदनी नहीं हो रही हैं जितनी आशा थी।

भक्त बोले- मां के दरबार में कोरोना का क्या काम
माता के दरबार में आने वाले साधकों का मानना है कि माता के दरबार में कोरोना का क्या काम है। मां सभी कष्टों को दूर करने वाली हैं। यहां आने से कष्टों का निवारण होता है। बिहार से आने वाले भक्त मानते है कि यहां आकर सभी समर्पण कर देते हैं। कोरोना का यहां क्या काम है।

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