पहली बार आतंकी संगठन हूजी का नाम सामने आया था; टिफिन में बम था प्लांट, 15 मिनट के भीतर दहल उठा था शहर

13 साल पहले 22 मई 2007 को गोरखपुर सीरियल ब्लास्ट के आरोपी तारिक काजमी को उम्रकैद की सजा हुई है। सोमवार को अपर सत्र न्यायाधीश और विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण नरेंद्र कुमार सिंह ने सश्रम उम्रकैद की सजा दी है। उस पर 2.15 लाख का जुर्माना भी लगा है। तारिक की STF ने विस्फोटक के साथ बाराबंकी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तारी की थी। महज 15 मिनट के भीतर तीन धमाके हुए थे। छह लोग घायल हुए थे। पहली बार आतंकी संगठन हरकत-उल-जेहाद-अल-इस्लामी (हूजी) का नाम सामने आया था।
जानिए क्या हुआ था उस दिन?
22 मई, 2007... शाम का वक्त था। बाजार में भीड़ थी। लोग किसी अनहोनी से बेफिक्र होकर खरीदारी व टहलने-घूमने में व्यस्त थे। तभी तभी पहला ब्लास्ट शाम 7 बजे गोलघर के जलकल बिल्डिंग, उसके ठीक पांच मिनट बाद बलदेव प्लाजा के पेट्रोल पंप के पास दूसरा और गणेश चौराहे पर तीसरा ब्लास्ट हुआ। इस धमाके में छह लोग घायल हो गए थे। इस घटना से पूरे शहर में अफरा-तफरी का माहौल व्याप्त हो गया।तीनों ब्लास्ट साइकिल में झोले के अंदर टाइम बम के माध्यम से किया गया। इसी तर्ज पर साल 2007 में नवंबर माह में वाराणसी, फैजाबाद और लखनऊ कचहरी में एक ही समय पर सीरियल ब्लास्ट को अंजाम दिया गया था।

मामले की जांच UP STF को सौंपी गई। STF ने हरकत-उल-जेहाद-अल इस्लामी (हूजी) के संदिग्ध आतंकवादी खालिद मुजाहिद और तारिक काजमी को गिरफ्तार किया गया था। तारिक काजमी आजमगढ़ का रहने वाला है। उसे बाराबंकी से गिरफ्तार किया गया था। उसके पास से जो सामान बरामद हुए थे, वह गोरखपुर में हुए सीरियल ब्लास्ट की घटना से मेल खाते हुए मिले। खालिद मुजाहिद की फैजाबाद की अदालत में पेशी से लौटते वक्त मौत हो गई थी। दोनों आतंकियों ने स्वीकार किया था कि उन्होंने इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों के साथ मिलकर गोरखपुर में भी सीरियल ब्लास्ट की घटना को अंजाम दिया था। सपा सरकार ने चुनाव में मुकदमा वापस लेने की बात कही थी। हालांकि हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी।
गोरखपुर के राजेश ने दर्ज कराया था केस
जिला शासकीय अधिवक्ता यशपाल सिंह ने बताया कि गोरखपुर के व्यस्ततम बाजार गोलघर में 22 मई 2007 को 3 सीरियल ब्लास्ट के आरोपी आजमगढ़ के तारिक काजमी पुत्र रियाज अहमद को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। गोरखपुर के ही मोहद्दीपुर के रहने वाले राजेश राठौर ने इस मामले में कैंट थाने में मुकदमा पंजीकृत कराया था। यशपाल सिंह ने बताया कि तारिक को धारा 5 में 10 साल की सजा हुई है। इसके अलावा IPC की धारा 307 के तहत 10 साल, 7 क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट के तहत 3 साल की सजा हुई है। विधि विरुद्ध क्रियाकलाप अधिनियम की धाराओं 16, 18 और 23 में 10-10 साल और 5 साल की सजा के अलावा अर्थदंड भी लगाया गया है।
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