50 गांवों के सैकड़ों किसानों ने विकास प्राधिकरण का किया घेराव, SIT रिपोर्ट रद्द करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे

उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में सोमवार को लीज बैक प्रकरण को लेकर सैकड़ों किसानों ने विकास प्राधिकरण (Greater Noida Authority) के मुख्यालय का घेराव किया। किसानों ने प्राधिकरण और स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्राधिकरण कार्यालय के बाहर ही किसान धरना देकर बैठ गए हैं। किसानों का कहना है कि जब तक SIT की रिपोर्ट को रद्द नहीं किया जाएगा, तब तक उनका धरना जारी रहेगा। किसान सेवा संघर्ष समिति के बैनर तले करीब 50 गांवों के सैकड़ों किसान विकास प्राधिकरण के कार्यालय पहुंचे हैं।
किसान बोले- जब तक SIT की रिपोर्ट खारिज नहीं होगी, धरना जारी रहेगा
समिति के प्रवक्ता मनवीर भाटी ने कहा कि SIT की रिपोर्ट के बारे में जानकारी के बाद बाद हमारा एक प्रतिनिधिमंडल ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (ACEO) केके गुप्त से मिला। उनसे एसआईटी की रिपोर्ट मांगी गई। उन्होंने जवाब दिया कि रिपोर्ट उनके पास नहीं आई है। इसके बाद हम लोगों ने शासन से जानकारी हासिल की। वहां से पता चला कि SIT की रिपोर्ट मिल चुकी है और विकास प्राधिकरण को भेज दी है। भाटी ने कहा कि केके गुप्त ने SIT के सामने सही और पूरे तथ्य नहीं रखे हैं। जानबूझकर किसानों के खिलाफ रिपोर्ट बनवाई गई है। बाहरी पूंजीपति व्यक्तियों की आबादियों को हरी झंडी दे दी गई है। ग्रेटर नोएडा के मूल किसानों की आबादी के साथ उनको मिल चुके 6% प्लॉट को भी खत्म करने की सिफारिश की गई है।
मनवीर भाटी ने आगे कहा, हम SIT की जांच रिपोर्ट और सिफारिशों का हर जगह विरोध करेंगे। किसानों के साथ धोखाधड़ी करने और हितों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। किसानों ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की सरकारों के 10 वर्ष के कार्यकाल में लंबे संघर्ष के बाद अपने परिवारों की सामाजिक सुरक्षा हासिल की थी। जिसे विकास प्राधिकरण ने तबाह कर दिया है। इसके खिलाफ किसान एकजुट हैं। प्राधिकरण की तानाशाही को स्वीकार नहीं। हम आज यहां विकास प्राधिकरण के बाहर आकर बैठ गए हैं। हमारी बस एक ही मांग है, SIT की रिपोर्ट को रद्द किया जाए। जब तक प्राधिकरण और शासन यह रिपोर्ट खारिज नहीं करेंगे, हमारा धरना जारी रहेगा।

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, कुछ लोगों ने उत्तर प्रदेश शासन से शिकायत की थी कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बिसरख गांव में मुंबई, दिल्ली और कुछ अन्य शहरों के निवासियों ने वर्ष 2000 के आसपास जमीन खरीदी थीं। जब वर्ष 2008 में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने इस इलाके में भूमि अधिग्रहण किया तो इन बाहरी लोगों की 20 हजार से 50 हजार वर्ग मीटर जमीन आबादी के नाम पर छोड़ दी गई। यह घोटाला तत्कालीन सरकार द्वारा घोषित आबादी नियमावली की आड़ में अंजाम दिया गया है।
इस मामले पर सरकार ने एक विशेष जांच दल SIT का गठन यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ.अरुण वीर सिंह की अध्यक्षता में किया था। SIT ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि लीज बैक के नाम पर व्यापक रूप से अनियमितताएं और धांधली की गई है। बड़ी बात यह है कि जिन बाहरी लोगों का हवाला देते हुए यह शिकायत की गई थी, उन्हें SIT ने क्लीन चिट दे दी है। SIT ने पाया है कि जिन किसानों ने आबादी छुड़वा ली है, उन्हें गलत ढंग से 6% के रेजिडेंशियल प्लॉट दिए गए हैं। SIT ने सिफारिश की है कि आबादी छुड़वाने वाले किसानों को 6% भूखंड और भविष्य में प्राधिकरण की आवासीय योजनाओं में आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। यही इस जांच रिपोर्ट की सबसे बड़ी सिफारिश है।
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