अग्निकांड में झुलसे इंसान के शव को 'जानवर' समझकर पुलिस ने तालाब किनारे फेंका; गलती का पता चला तो मचा हड़कंप

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में रविवार को पुलिस की एक अमानवीय करतूत उजागर हुई है। यहां शनिवार रात एक मोबाइल की दुकान में भीषण आग लग गई। दुकान के भीतर एक इंसान का शव बुरी तरह झुलसा मिला। पुलिस ने शव को किसी जानवर का शव समझकर घटनास्थल से 200 मीटर की दूरी पर रेलवे अस्पताल के पीछे तालाब के पास फेंक दिया। जब पशु चिकित्सा अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर इंसान के शव होने की पुष्टि की तो पुलिस ने अपनी करतूत को छिपाने के लिए तत्काल शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा दिया। मृतक के संबंध में जानकारी की जा रही है।

चर्चा शुरू हुई तो पुलिस को गलती का हुआ एहसास
यह घटना थाना रौजा क्षेत्र में अड्डे के पास की है। यहां नईम शनिवार रात मोबाइल की दुकान बंद करके घर चला गया था। लेकिन, अचानक रात में उसकी दुकान में आग लग गई। सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने दमकल विभाग को सूचना दी। पुलिस और दमकल विभाग की टीम ने आग पर काबू पाया और वापस लौट गई। लेकिन सुबह जब दुकान खोली गई तब एक झुलसा शव बरामद हुआ। पुलिस ने उसे जानवर का शव समझकर उसे घटना स्थल से लगभग 200 मीटर की दूरी पर रेलवे अस्पताल के पीछे फेंक दिया। लेकिन बाद में चर्चा होने लगी कि जिस शव को पुलिस ने फेंका है वह किसी इंसान का है। पुलिस को गलती का एहसास हुआ तो पशु चिकित्सा अधिकारी को सूचना कर बुलाया गया। पशु चिकित्सा अधिकारी ने इंसानी शव होने की पुष्टि की। जिसके बाद आनन-फानन में पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। दुकान अंदर जले हुए मिले शव की अभी पहचान नहीं हो सकी है।
मृतक कैसे पहुंचा दुकान में, कौन था? चल रही इसकी जांच
थानाध्यक्ष राजेंद्र बहादुर सिंह ने रात दुकान में आग लगी थी। शटर तोड़कर आग बुझाया गया था। तब कोई भी इंसान आग में फंसा या झुलसा दिखाई नहीं दिया था। आग बुझने के बाद टीम वापस लौट गई। लेकिन सुबह पता चला कि उसमे जले हुए मांस के टुकड़े भी हैं। जानवर के भी हो सकते थे, इसलिए उसको फेंक दिया था। लेकिन बाद में पशु चिकित्सा अधिकारी को जांच के लिए बुलाया तो उन्होंने इन्सान के शव की होने की पुष्टि की, जिसके बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मृत व्यक्ति कैसे दुकान तक पहुंचा? वह कौन था? इसकी जांच की जा रही है।
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